श्री पद्मावतीमाता के विविध मंत्र Shree Padmavatimata ke Mantra
Ì ॐ ह्रीँ अर्हँ नमो भगवती श्री पद्मावती श्रीविजयनंदनी विवासर शुद्धिं कुरु कुरु स्वाहा ।
E इस मंत्र से ताजा फूल लेकर 108 बार मंत्रित करके मस्तक के उपर लगाने से व्यापार बढता है ।
Ì ॐ नमो धरणेन्द्र पद्मावती सर्वकामना सिद्धं सर्वजन मोहय मोहय एहीं वरं देहिले मातंगनी सतबुही ह्रीँ स्वाहा ।।
E इस मंत्र को सूर्योदय से पहले रातको 108 बार जाप करने से शिष्य-शिष्या परिवार बढता है और श्रावक समुदाय अपने वचनको मान्य करते है ।
Ì ॐ ह्रीँ श्रीँ देवी पद्मावती मम शरीरे शांति कल्याणं जयं कुरु कुरु परविद्यां स्तंभय स्तंभय क्लीँ श्रीँ देवी पद्मे तुभ्यं नमः ।।
E 14 दिनमें 1 लाख जाप करके आहूति देने के बाद मनमें जो धारणा करते है, वह होता है ।
Ì ॐ ह्रीँ श्रीँ पद्मे पद्मासने पद्मदलनिवासिनी पद्मावती मम वांछितं कुरु कुरु ह्रीँ स्वाहा ।।
E इस मंत्रकी हररोज ग्यारह बार माला गिने, शामको सात प्रकारके अनाज का वजन करके उन सात प्रकारके धान्यको अलग अलग रखना, रातको माला गिनकर सो जाओ । दुसरे दिन फिरसे वजन करना, अगर वजन कम होगा तो फल कम मिलेगा । एक लाख जाप करने से सर्व मनोकामना फलिभूत होती है ।
Ì ॐ नमो भगवती ह्रीँ श्रीँ क्लीँ ह्रीँ पद्मावती स्वाहा ।।
E त्रिकाल जाप करने से साधक की वाणी का प्रभाव रहता है ।
Ì ॐ ह्राँ ह्रीँ ह्रूँ रक्ताम्बरी पद्मावती स्वाहा ।।
E त्रिकाल 24-24 माला गिनने से श्रीसंघ में संगठन, और समुदाय की कीर्ति बढती है ।
Ì ॐ ह्रीँ श्रीँ पद्मावती मम कर्णे विकरणेश्वरी नमः ।।
E 21 दिन में इस मंत्र के सवा लाख (1,25,000) बार जाप करने से मनकी इच्छा पुरी होती है और मनोवांछित की प्राप्ति होती है ।
Ì ॐ ऐँ ह्रीँ श्रीँ अर्हँ नमो भगवती पद्मावती श्री ठः ठः ठः स्वाहा ।।
E आसो सुद एकम से दसम तक तील के तेल के अखंड दीपक के सामने भगवती श्री पद्मावती देवी की मूर्ति स्थापन करके एक लाख जाप करना, दशांश आहूति देकर कुमारिका को भोजन कराने से इच्छित व्यक्ति वशीभूत होता है ।
Ì ॐ ह्रीँ श्रीँ पद्मे पद्मासने धरणेन्द्रप्रिये पद्मावती श्रीं मम कुरु कुरु सर्वजनवशीकरणी ॐ ह्रीँ फुट् स्वाहा ।।
E सवा लाख जाप से वशीकरण होता है । त्रिकाल जाप करने के बाद, किसी व्यक्ति को किसीभी प्रकारकी चीज देने में आये तो वह वश होता है ।
Ì ॐ ह्राँ ह्रीँ श्रीँ देवी पद्मावती मम शरीरे शांति कल्याणं जयं कुरु कुरु ममोपरि कुविद्या कुर्वन्ति करापयन्ति ते विद्या स्तंभय स्तंभय क्लीँ क्लीँ श्रीँ सर्वोपद्रवेभ्यः रक्ष रक्ष तुष्टिं पुष्टिमारोग्यं सौख्यं देहि देहि देवी पद्मे ह्रीँ नमः ।
E यह मंत्र गिनने से जीस गाँव में हम रहते है, उस गाँव में कोई व्यक्ति अपनी अपभ्राजना नही करता, गाँव में अपने बारेमें जैसा तैसा नही बोल शकता और उपद्रवो की शांति होती है ।
Ì ॐ ह्रीं श्रीं पद्मे श्री पद्मावती सर्वदुष्टान् मुखं स्तंभय स्तंभय ह्रीं स्वाहा ।
E यह मंत्र का 21 दिन तक शत्रु का नाम लेकर सवा लाख (1,25,000) जाप करने से, शत्रु चला जाता है
। Ì ॐ ह्रीं श्रीं ह्राँ भ्रींमी देवता पद्मावती अमुकं वश्यं कुरु कुरु फूट् स्वाहा । E इस मंत्र की हररोज 11 माला गिनने से वशीकरण होता है ।
Ì ॐ ऐँ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीधारणी हंसः ह्रीं पद्मावती स्वाहा ।
E अबिल, गुलाल, सिंदुर और कंकु का माडला बनाना, उसके अंदर मेरुपर्वत की कल्पना करके चावलका ढग बनाना, कंकु से पूजा करनी, लाल करेणके 108 फूल चढाना । 21 दिनमें सवा लाख (1,25,000) जाप करना । दशांश आहूति देनी । 21 दिन तक स्त्री का मुख देखना नही । उत्तम प्रकारका नैवेद्य रखना । 21 दिन तक एकाशना करना । आहूति में पंचामृत सह 1000 लाल करेण के सुके फूल चढाना । लाल वस्त्र पहन के जाप करना । मंत्रमें हो रहा अनुभव किसीको भी बताना नही ।
Ì ॐ आँ क्रोँ ह्रीँ ऐँ क्लीँ देवी पद्मावती त्रिपुरकामसाधिनी दुर्जनमति विनाशिनी त्रैलोक्यक्षोभिणी श्री पार्श्वनाथोपसर्गहारिणी क्लीं ब्लूँ मम दुष्टान् हन हन क्लीं मम कार्याणि साधय साधय हुं फूट् स्वाहा । E यह मंत्र हररोज 108 बार गिनना । अन्य किसी आदमी के सामने यह विद्या प्रगट नही करनी । यह महा विद्या है । तत्काल कार्य को सिद्ध करने के लीए यह विद्या है ।
Ì ॐ ह्रीं पद्मावती अमुकं मे वश्यं कुरु कुरु स्वाहा । E 2300 बार इस मंत्र का जाप करके, कीसी भी चीज को 7 बार मंत्रित करके तिलक करने से कोइभी व्यक्ती वश हो जाता है । काले धतुरे के फूल पुष्य नक्षत्रमें, फल भरणी नक्षत्रमें, पान हस्त नक्षत्रमें, डाल विशाखा नक्षत्रमें और मूळिया मूल नत्रत्रमें लेने । कृष्णपक्षकी 14मी रात्री को सर्व चीजोंको केसर एवं गोरोचन के साथ बराबर मिलाकर उपरके मंत्रसे मंत्रित करके तिलक करने से वशीकरण होता है । पानीमें डालकर देने से शत्रु भी मित्र बनजाता है ।
Ì ॐ ह्रीं क्लीँ ब्लूँ ऐँ श्रीं पद्मावती अमुकं आकर्षय आकर्षय साधय साधय मे वशमानाय ह्रीं फूट् स्वाहा । E यह मंत्र 108 बार गिनके, मुख के उपर सात बार हाथ घुमाके कोइभी कार्य के लाए जाय तो कार्य की सिद्धि होती है ।
Ì ॐ आँ क्रोँ ह्रीँ ऐँ क्लीँ हंसौ श्रीपद्मावत्यै नमः ।
E कीसीभी गाँव में प्रवेश करनेसे पहले, जीस वृक्ष में से दुध निकल रहा हो, उस वृक्ष के उपर उपरोक्त मंत्रसे मंत्रित 21 कंकर डालने । उस कंकरमे से जितने भी हाथमें आये उतने लेलो और लीये हुए कंकर चौराहे पर डालने से समग्र जनता वश हो जाती है ।
Ì ॐ ह्रीँ श्रीँ क्लीँ पद्मावती सर्वराजा सर्वस्त्रीहृदयहारिणी मम वश्यं वसट् ऐँ ह्रीँ नमः ।
E पाक्षिक प्रतिक्रमण के बाद काउसग्ग मुद्रा से चारो दिशाओं मे 434 बार यह जाप करना । शुरुआत पूर्व दिशासे करनी अनुक्रम से चार दिशा लेनी । फल अनुभल से पता चलेगा ।
Ì ॐ ह्रीँ नमः श्रीपद्मावती मम कर्णे सत्यं कथय कथय स्वाहा । E पहले पोश दशमीके (मागसर वद 9, 10, 11,) तीन एकासना करके जाप की शुरुआत करनी, रातको भूमि शुद्धि करके, जाप करने के बाद शयन करना । सुगंधी विलेपन करना । दाया (जिमणा) कान उपर रखके बाये करवट पे सो जाना, जो बनने वाला होगा वह 21 दिन में जानने को मिलेगा । जाप पूर्व या उत्तर दिशामें करे । हररोज की 51 माला गिने । श्री पार्श्वनाथ प्रभु के सामने चमेली के पुष्प से जाप करने से शीघ्र लाभ मिलता है ।
Ì ॐ ह्रीँ पद्मावती सर्वसृनीरसन क्रोधगतिमतिहुँ श्रीं यः यः जिह्वा स्तंभय स्तंभय स्तभंय कुरु कुरु मम सर्वजनवश्यकरनी फुट् स्वाहा ।
E शनिवार को सहदेवी वनस्पति नोतरीने, रविवार को लाना, काळी चौदस को अर्चन करना उपर के मंत्र से मंतरीत करके पानमें खिलाने से कोइ भी व्यक्ती वश होता है ।
Ì ॐ ह्रीं पद्मे नमः ।
E पद्मावती माता की फोटो तथा यंत्र के सामने अट्ठम तप करके हररोज 24000 जाप करने से प्रवचनमें वाणी उंची रहे, यश कीर्ति मिले और लाभ होता है ।
Ì ऐँ क्लीँ हसौ पद्मावती कुंडलिनी नमः ।
E यंत्र को अष्टगंध से विलेपन करके, यंत्र के सन्मुख तीनो टाइम इस मंत्र की 11-11 माला गिने तो, सौभाग्य की प्राप्ती होती है, परिवारमें – शिष्यसमुदायमें एक्ता बढती है और एकदमसे कीसी लाभ की प्राप्ति होती है ।
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Ì ॐ ह्रीँ अर्हँ नमो भगवती श्री पद्मावती श्रीविजयनंदनी विवासर शुद्धिं कुरु कुरु स्वाहा ।
E इस मंत्र से ताजा फूल लेकर 108 बार मंत्रित करके मस्तक के उपर लगाने से व्यापार बढता है ।
Ì ॐ नमो धरणेन्द्र पद्मावती सर्वकामना सिद्धं सर्वजन मोहय मोहय एहीं वरं देहिले मातंगनी सतबुही ह्रीँ स्वाहा ।।
E इस मंत्र को सूर्योदय से पहले रातको 108 बार जाप करने से शिष्य-शिष्या परिवार बढता है और श्रावक समुदाय अपने वचनको मान्य करते है ।
Ì ॐ ह्रीँ श्रीँ देवी पद्मावती मम शरीरे शांति कल्याणं जयं कुरु कुरु परविद्यां स्तंभय स्तंभय क्लीँ श्रीँ देवी पद्मे तुभ्यं नमः ।।
E 14 दिनमें 1 लाख जाप करके आहूति देने के बाद मनमें जो धारणा करते है, वह होता है ।
Ì ॐ ह्रीँ श्रीँ पद्मे पद्मासने पद्मदलनिवासिनी पद्मावती मम वांछितं कुरु कुरु ह्रीँ स्वाहा ।।
E इस मंत्रकी हररोज ग्यारह बार माला गिने, शामको सात प्रकारके अनाज का वजन करके उन सात प्रकारके धान्यको अलग अलग रखना, रातको माला गिनकर सो जाओ । दुसरे दिन फिरसे वजन करना, अगर वजन कम होगा तो फल कम मिलेगा । एक लाख जाप करने से सर्व मनोकामना फलिभूत होती है ।
Ì ॐ नमो भगवती ह्रीँ श्रीँ क्लीँ ह्रीँ पद्मावती स्वाहा ।।
E त्रिकाल जाप करने से साधक की वाणी का प्रभाव रहता है ।
Ì ॐ ह्राँ ह्रीँ ह्रूँ रक्ताम्बरी पद्मावती स्वाहा ।।
E त्रिकाल 24-24 माला गिनने से श्रीसंघ में संगठन, और समुदाय की कीर्ति बढती है ।
Ì ॐ ह्रीँ श्रीँ पद्मावती मम कर्णे विकरणेश्वरी नमः ।।
E 21 दिन में इस मंत्र के सवा लाख (1,25,000) बार जाप करने से मनकी इच्छा पुरी होती है और मनोवांछित की प्राप्ति होती है ।
Ì ॐ ऐँ ह्रीँ श्रीँ अर्हँ नमो भगवती पद्मावती श्री ठः ठः ठः स्वाहा ।।
E आसो सुद एकम से दसम तक तील के तेल के अखंड दीपक के सामने भगवती श्री पद्मावती देवी की मूर्ति स्थापन करके एक लाख जाप करना, दशांश आहूति देकर कुमारिका को भोजन कराने से इच्छित व्यक्ति वशीभूत होता है ।
Ì ॐ ह्रीँ श्रीँ पद्मे पद्मासने धरणेन्द्रप्रिये पद्मावती श्रीं मम कुरु कुरु सर्वजनवशीकरणी ॐ ह्रीँ फुट् स्वाहा ।।
E सवा लाख जाप से वशीकरण होता है । त्रिकाल जाप करने के बाद, किसी व्यक्ति को किसीभी प्रकारकी चीज देने में आये तो वह वश होता है ।
Ì ॐ ह्राँ ह्रीँ श्रीँ देवी पद्मावती मम शरीरे शांति कल्याणं जयं कुरु कुरु ममोपरि कुविद्या कुर्वन्ति करापयन्ति ते विद्या स्तंभय स्तंभय क्लीँ क्लीँ श्रीँ सर्वोपद्रवेभ्यः रक्ष रक्ष तुष्टिं पुष्टिमारोग्यं सौख्यं देहि देहि देवी पद्मे ह्रीँ नमः ।
E यह मंत्र गिनने से जीस गाँव में हम रहते है, उस गाँव में कोई व्यक्ति अपनी अपभ्राजना नही करता, गाँव में अपने बारेमें जैसा तैसा नही बोल शकता और उपद्रवो की शांति होती है ।
Ì ॐ ह्रीं श्रीं पद्मे श्री पद्मावती सर्वदुष्टान् मुखं स्तंभय स्तंभय ह्रीं स्वाहा ।
E यह मंत्र का 21 दिन तक शत्रु का नाम लेकर सवा लाख (1,25,000) जाप करने से, शत्रु चला जाता है
। Ì ॐ ह्रीं श्रीं ह्राँ भ्रींमी देवता पद्मावती अमुकं वश्यं कुरु कुरु फूट् स्वाहा । E इस मंत्र की हररोज 11 माला गिनने से वशीकरण होता है ।
Ì ॐ ऐँ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीधारणी हंसः ह्रीं पद्मावती स्वाहा ।
E अबिल, गुलाल, सिंदुर और कंकु का माडला बनाना, उसके अंदर मेरुपर्वत की कल्पना करके चावलका ढग बनाना, कंकु से पूजा करनी, लाल करेणके 108 फूल चढाना । 21 दिनमें सवा लाख (1,25,000) जाप करना । दशांश आहूति देनी । 21 दिन तक स्त्री का मुख देखना नही । उत्तम प्रकारका नैवेद्य रखना । 21 दिन तक एकाशना करना । आहूति में पंचामृत सह 1000 लाल करेण के सुके फूल चढाना । लाल वस्त्र पहन के जाप करना । मंत्रमें हो रहा अनुभव किसीको भी बताना नही ।
Ì ॐ आँ क्रोँ ह्रीँ ऐँ क्लीँ देवी पद्मावती त्रिपुरकामसाधिनी दुर्जनमति विनाशिनी त्रैलोक्यक्षोभिणी श्री पार्श्वनाथोपसर्गहारिणी क्लीं ब्लूँ मम दुष्टान् हन हन क्लीं मम कार्याणि साधय साधय हुं फूट् स्वाहा । E यह मंत्र हररोज 108 बार गिनना । अन्य किसी आदमी के सामने यह विद्या प्रगट नही करनी । यह महा विद्या है । तत्काल कार्य को सिद्ध करने के लीए यह विद्या है ।
Ì ॐ ह्रीं पद्मावती अमुकं मे वश्यं कुरु कुरु स्वाहा । E 2300 बार इस मंत्र का जाप करके, कीसी भी चीज को 7 बार मंत्रित करके तिलक करने से कोइभी व्यक्ती वश हो जाता है । काले धतुरे के फूल पुष्य नक्षत्रमें, फल भरणी नक्षत्रमें, पान हस्त नक्षत्रमें, डाल विशाखा नक्षत्रमें और मूळिया मूल नत्रत्रमें लेने । कृष्णपक्षकी 14मी रात्री को सर्व चीजोंको केसर एवं गोरोचन के साथ बराबर मिलाकर उपरके मंत्रसे मंत्रित करके तिलक करने से वशीकरण होता है । पानीमें डालकर देने से शत्रु भी मित्र बनजाता है ।
Ì ॐ ह्रीं क्लीँ ब्लूँ ऐँ श्रीं पद्मावती अमुकं आकर्षय आकर्षय साधय साधय मे वशमानाय ह्रीं फूट् स्वाहा । E यह मंत्र 108 बार गिनके, मुख के उपर सात बार हाथ घुमाके कोइभी कार्य के लाए जाय तो कार्य की सिद्धि होती है ।
Ì ॐ आँ क्रोँ ह्रीँ ऐँ क्लीँ हंसौ श्रीपद्मावत्यै नमः ।
E कीसीभी गाँव में प्रवेश करनेसे पहले, जीस वृक्ष में से दुध निकल रहा हो, उस वृक्ष के उपर उपरोक्त मंत्रसे मंत्रित 21 कंकर डालने । उस कंकरमे से जितने भी हाथमें आये उतने लेलो और लीये हुए कंकर चौराहे पर डालने से समग्र जनता वश हो जाती है ।
Ì ॐ ह्रीँ श्रीँ क्लीँ पद्मावती सर्वराजा सर्वस्त्रीहृदयहारिणी मम वश्यं वसट् ऐँ ह्रीँ नमः ।
E पाक्षिक प्रतिक्रमण के बाद काउसग्ग मुद्रा से चारो दिशाओं मे 434 बार यह जाप करना । शुरुआत पूर्व दिशासे करनी अनुक्रम से चार दिशा लेनी । फल अनुभल से पता चलेगा ।
Ì ॐ ह्रीँ नमः श्रीपद्मावती मम कर्णे सत्यं कथय कथय स्वाहा । E पहले पोश दशमीके (मागसर वद 9, 10, 11,) तीन एकासना करके जाप की शुरुआत करनी, रातको भूमि शुद्धि करके, जाप करने के बाद शयन करना । सुगंधी विलेपन करना । दाया (जिमणा) कान उपर रखके बाये करवट पे सो जाना, जो बनने वाला होगा वह 21 दिन में जानने को मिलेगा । जाप पूर्व या उत्तर दिशामें करे । हररोज की 51 माला गिने । श्री पार्श्वनाथ प्रभु के सामने चमेली के पुष्प से जाप करने से शीघ्र लाभ मिलता है ।
Ì ॐ ह्रीँ पद्मावती सर्वसृनीरसन क्रोधगतिमतिहुँ श्रीं यः यः जिह्वा स्तंभय स्तंभय स्तभंय कुरु कुरु मम सर्वजनवश्यकरनी फुट् स्वाहा ।
E शनिवार को सहदेवी वनस्पति नोतरीने, रविवार को लाना, काळी चौदस को अर्चन करना उपर के मंत्र से मंतरीत करके पानमें खिलाने से कोइ भी व्यक्ती वश होता है ।
Ì ॐ ह्रीं पद्मे नमः ।
E पद्मावती माता की फोटो तथा यंत्र के सामने अट्ठम तप करके हररोज 24000 जाप करने से प्रवचनमें वाणी उंची रहे, यश कीर्ति मिले और लाभ होता है ।
Ì ऐँ क्लीँ हसौ पद्मावती कुंडलिनी नमः ।
E यंत्र को अष्टगंध से विलेपन करके, यंत्र के सन्मुख तीनो टाइम इस मंत्र की 11-11 माला गिने तो, सौभाग्य की प्राप्ती होती है, परिवारमें – शिष्यसमुदायमें एक्ता बढती है और एकदमसे कीसी लाभ की प्राप्ति होती है ।
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