8 किन्नरी मंत्र देंगे हर सफलता, चमकाएंगे सौभाग्य
साधारणतया 'किन्नर'
शब्द से बृहन्नला माना जाता है। यह बृहन्नला नहीं है। ये देवताओं के
लोक में गाने-बजाने तथा मनोरंजन करने वाले देवताओं की शक्तियों से संपन्न होते
हैं। किन्नरी यानी देवियां। हिमाचल में एक स्थान है किन्नौर, जो इन्हीं के नाम से जाना जाता है। मुख्य रूप से यह 8 होती हैं। यह शीघ्र
प्रसन्न होने वाली देवियां हैं जिनकी साधना से द्रव्य, भोग,
दिव्य रसायन, स्वर्ण, वस्त्रालंकार
मिलते हैं एवं समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। अप्सराओं की तरह इनकी भी साधना की
जाती है, जो निम्नलिखित है-
(1) मंजूघोष किन्नरी- एक मास
तक अमावस्या से पूर्णिमा तक साधना की जाती है तथा नित्य पूजन, नेवैद्य बली
आदि कर्म किए जाते हैं। दिव्य रसायन व ऐश्वर्य देती हैं।> >
मंत्र- 'ॐ मंजूघोष
आगच्छागच्छ स्वाहा।'
(2) मनोहारी किन्नरी- उपरोक्त
वर्णित तरीके से साधना पर्वत शिखर पर की जाती है तथा सभी मनोकामनाएं भार्या के रूप
में प्रदान करती हैं।
मंत्र- 'ॐ मनोहार्ये
स्वाहा।'
3) सुभगा किन्नरी- उज्जट पर्वत
शिखर पर साधन होता है तथा चंदन मिले जल से अर्घ्य देना पड़ता है। स्वर्ण मुद्राएं
नित्य प्रदान करती हैं।
मंत्र- 'ॐ सुभगे
स्वाहा।'
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(4) विशाल नेत्रा किन्नरी- नदी के एकांत तट पर साधना की जाती है तथा भार्या बनकर
नित्य स्वर्ण मुद्राएं देती हैं।> >
मंत्र- 'ॐ विशाल नेत्रे
स्वाहा।'
(5) सुरति प्रिय किन्नरी-
पवित्र नदी के संगम पर साधन होता है तथा वस्त्रालंकार तथा स्वर्ण प्रदान करती हैं।
मंत्र- 'ॐ सुरति प्रिये
स्वाहा।'
(6) अश्वमुखि किन्नरी-
निर्जन-उज्जट पर्वत शिखर पर साधना से प्रसन्न होने वाली हैं तथा काम, भोग, ऐश्वर्य, धन व स्वर्ण प्रदान करती हैं।
मंत्र- 'ॐ अश्वमुखि
स्वाहा।'
(7) दिवाकरी मुखि किन्नरी-
निर्जन पर्वत शिखर पर साधना की जाती है तथा भोग व ऐश्वर्य प्रदान करती हैं।> >
मंत्र- 'ॐ दिवाकरी मुखि
स्वाहा।'
(8) मंगला किन्नरी- नितांत
एकांत में नदी के संगम या तट पर साधना की जाती है तथा अपनी इच्छा बताने पर पूरी
करती हैं।
ॐ मंगला किन्नरी स्वाहा
मनुष्य अपना प्रयास अभीष्ट
पूर्ति के लिए करता है। भाग्यवश उसे सफलता प्राप्त होती है, लेकिन तंत्र
के माध्यम से देवकृपा प्राप्त कर वह अपनी इच्छा पूर्ण कर सकता है। आवश्यकता है
केवल इच्छाशक्ति की तथा एक योग्य मार्गदर्शक की।
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